Monday, November 10, 2008

प्रतिक्रियात्मक बहस करने की क्षमता

शम्भू जी का कहना शत प्रतिशत सही है.....

1। हममें प्रतिक्रियात्मक बहस करने की या विचार प्रकट करने की क्षमता अधिक है।
या
2। प्रतिक्रियात्मक बहस में हमें नये शब्द स्वतः मिल जाते हैं, जबकी नये सृजन में हमें शब्दों का चयन करने में काफी कठनाई होती है।

मुझे लगता है, हमें इस ब्लॉग पर और अधिक लोगों की सहभागिता के लिए हम एक प्रयोग कर सकते हैं, कोई भी प्रश्न, जिस पर हम सब की सहभागिता चाहते हैं, उसे कई उत्तरों के विकल्प में बाँट कर प्रस्तुत करने का प्रयास करें। शायद इससे हमारे पाठकों की संख्या भी बढे और उसमे से कुछ सहभागी भी बन सकें।
उत्तर विकल्प -

  1. सही है, इससे हमारी सृजनशीलता निखर कर सामने आएगी;
  2. बेकार बात है;
  3. जिन्हें नही लिखना / पढ़ना उन्हें कैसे भी प्रेरित करना सम्भव नही;
  4. इससे कम से कम हमारे पाठकों की संख्या तो बढेगी ही, और इस चर्चा को भी गति मिलेगी;
  5. छोटे उत्तर विकल्पों से हम नए लेखक / पाठक बनाने की दिशा में एक और कदम बढायेंगे।
  6. -सुमित चमडिया

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