वैसे सकारात्मक परिचर्चा के क्रम में कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखने की जरुरत है:-
१. नयी युवा पीढी का जुराव मंच से कैसे हो।
२. पुराने लोग जो मंच से जुड़े हैं उन्हें सही सम्मान प्राप्त हो।
३. पीढी अंतराल को कैसे भरा जाये, इस लम्बे कल खंड में संस्थापक, पुराने, पोषक और नविन नेत्रित्व के बीच कैसे सामंजस्य बैठाया जाये।
४. आज की परिस्थितियों के अनुसार जो मूल्यों में बदलाव आये हैं, क्या हम उस अनुसार चल पा रहे हैं।
५. नेत्रित्व विकाश / व्यक्ति विकाश की दिशा में हम कितना बढ़ पाए हैं।
आगे भी जारी.....
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर, बिहार
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